Deepak
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hari101
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grand son

hari101
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Grand sons

ayubkhan786
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ayyub khan

Parveen
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⁣लेख : सूरदास का जन्म
सूरदास का जन्म कब हुआ, इस विषय में पहले उनकी तथाकथित रचनाओं, 'साहित्य लहरी' और 'सूरसारावली' के आधार पर अनुमान लगाया गया था और अनेक वर्षों तक यह दोहराया जाता रहा कि उनका जन्म संवत 1540 विक्रमी (सन 1483 ई.) में हुआ था, परन्तु विद्वानों ने इस अनुमान के आधार को पूर्ण रूप में अप्रमाणिक सिद्ध कर दिया तथा पुष्टिमार्ग में प्रचलित इस अनुश्रुति के आधार पर कि सूरदास श्री मद्वल्लभाचार्य से 10 दिन छोटे थे, यह निश्चित किया कि सूरदास का जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष पंचमी, संवत 1535 वि. (सन 1478 ई.) को हुआ था। इस साम्प्रदायिक जनुश्रुति को प्रकाश में लाने तथा उसे अन्य प्रमाणों में पुष्ट करने का श्रेय डॉ. दीनदयाल गुप्त को है। जब तक इस विषय में कोई अन्यथा प्रमाण न मिले, हम सूरदास की जन्म-तिथि को यही मान सकते हैं।

Parveen
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sadi ke mahanayak

Parveen
11 Visningar · 4 dagar sedan

हिंदू विधवा पुनर्विवाह (Hindu Widow Remarriage) का अर्थ है हिंदू विधवाओं के लिए दोबारा शादी करने की अनुमति, जिसे 1856 के विधवा पुनर्विवाह अधिनियम द्वारा कानूनी मान्यता मिली, जिसका मसौदा लॉर्ड डलहौजी ने तैयार किया और लॉर्ड कैनिंग ने जुलाई 1856 में हस्ताक्षर किए, जिसने इस सामाजिक प्रथा को वैध बनाया और समाज सुधारकों (जैसे महादेव गोविंद रानाडे और धोंडो केशव कर्वे) ने इसे बढ़ावा दिया। यह अधिनियम विधवाओं के पुनर्विवाह पर लगी सामाजिक बाधाओं को दूर करने का एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे उन्हें कानूनी अधिकार मिले।
मुख्य बिंदु:
ऐतिहासिक संदर्भ: भारत में विधवा पुनर्विवाह एक वर्जित प्रथा थी, जिसे सती प्रथा के बाद समाज सुधार के एक महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में देखा गया।
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856:
पारित तिथि: 16 जुलाई, 1856 को यह कानून पारित हुआ।
मुख्य भूमिका: लॉर्ड डलहौजी (मसौदा) और लॉर्ड कैनिंग (हस्ताक्षर)।
उद्देश्य: विधवाओं के पुनर्विवाह को कानूनी बनाना और सामाजिक प्रतिबंधों को चुनौती देना।
समाज सुधारक:
महादेव गोविंद रानाडे: 1861 में विधवा पुनर्विवाह संघ (Widow Remarriage Association) की स्थापना की।
धोंडो केशव कर्वे (D.K. Karve): 1893 में पुणे में विधवा पुनर्विवाह मंडली की स्थापना की और विधवाओं के लिए पहला शैक्षणिक संस्थान खोला।

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