شارٹس بنانا
समुद्र मंथन की पौराणिक कथा में देवताओं और असुरों ने मिलकर अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया। मंथन से कई अद्भुत रत्न निकले, जिनमें सबसे मूल्यवान था — अमृत। जब अमृत कलश निकला, तो असुरों ने उसे छीनने की कोशिश की, ताकि वे अमर हो सकें और देवताओं पर विजय प्राप्त कर सकें। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को मोहित किया और अमृत देवताओं को पिला दिया। एक असुर, राहु, ने धोखे से अमृत पी लिया, लेकिन सूर्य और चंद्रमा ने उसकी पहचान कर ली। विष्णु ने तुरंत उसका सिर काट दिया। राहु का सिर अमर हो गया और यही कारण है कि राहु और केतु ग्रहण का कारण माने जाते हैं। यह कथा अमरता की लालसा, छल-कपट और ईश्वरीय न्याय का प्रतीक मानी जाती है।
समुद्र मंथन हिन्दू धर्म की एक प्रमुख पौराणिक घटना है, जिसमें देवता और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने हेतु समुद्र का मंथन किया। इस प्रक्रिया में अनेक दिव्य रत्न और जीव उत्पन्न हुए। उन्हीं में से एक था उच्चैःश्रवा, एक अत्यंत तेजस्वी, सात सिरों वाला सफेद घोड़ा, जो सभी घोड़ों में श्रेष्ठ माना गया। इसकी गति बिजली से भी तेज और रूप अद्वितीय था। जैसे ही यह दिव्य अश्व प्रकट हुआ, असुरों का राजा राजा बलि उसकी भव्यता से प्रभावित हो गया और उसे अपने पास रख लिया।
हालाँकि यह घोड़ा देवताओं के योग्य था, परंतु बलि की शक्ति और प्रभाव के कारण देवता कुछ कर नहीं सके। उच्चैःश्रवा शक्ति, ऐश्वर्य और तेज का प्रतीक बन गया। कई कथाओं में यह उल्लेख मिलता है कि बाद में यह घोड़ा इन्द्र का वाहन भी बना। यह कथा समुद्र मंथन से निकले चमत्कारी तत्वों और देव-असुर संघर्ष का प्रतीक है।
